चित्रकोट, छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में इंद्रावती नदी पर स्थित एक जलप्रपात तथा लोकप्रिय पर्यटक केंद्र भी है। यहाँ इंद्रावती नदी लगभग ९५ फिट की ऊँचाई से गिरती है। समूची चट्टानें जिनसे नदी का पानी नीचे गिरता है, उनकी चौड़ाई लगभग ३०० मीटर है। यह भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है। बदलते मौसम के साथ इसकी छटा भी बदलती रहती है।अगस्त-सितम्बर माह में विकराल रूप धारण करनेवाले इस प्रपात की धारा अप्रेल माह तक आते-आते क्षीणतम अथवा लगभग विलुप्तप्रायः हो जाती है।
Chitrakote during Monsoon
Chitrakote during Summer
जब से कोलकाता को विशाखापत्तनम को जोड़ने वाले राजमार्ग का निर्माण हुआ है तब से इस इलाके में सैलानियों की संख्या में, विशेषतः पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से आने वाले लोगों की बहुत वृद्धि हुई है।
Tourists at Chitrakote
यह जगदलपुर से लगभग ३५ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह रास्ता जो जगदलपुर से चित्रकोट जाता है उसकी यात्रा अपने आप में एक अनूठा अनुभव है जिसमे हम बस्तर के इतिहास और आदिवासी संस्कृति से रूबरू होते हैं। इस रस्ते में अनेक मड़िआ एवं मुरिया गांव हैं जिनके आस-पास इन आदिवासियों द्वारा अपने मृतक पूर्वजों की स्मृति में बनाए गए कलात्मक मृतक स्तम्भ एवं मट्ठ देखे जा सकते हैं।
Memorial shrine, Takra Guda
Memorial Stele, Takra Guda
जगदलपुर से लगभग दस-बारह किलोमीटर दूरी पर स्थित टाकरा गुढ़ा गांव का मढाभाटा (मरघटी ) बरबस ही आकर्षित करता है। वृक्षों के झुरमुट के बीच लगे मृतक स्तम्भ एवं मट्ठ, उनपर चित्रित की गई आकृतियां बड़ा ही मायावी वातावरण उपस्थित करती हैं। इसके साथ लगा हुआ साप्ताहिक हाट बाजार के लिए बनाया गया स्थान है। मार्ग के मध्य में पड़ने वाला लोहंडीगुड़ा गांव बस्तर के अंतिम काकतीय राजा प्रवीर चंद्र भंजदेव और भारत सरकार के मध्य खूनी संघर्ष की अनेक यादें समेटे हुए है।
चित्रकोट स्थानिय आबादी की श्रद्धा और आस्था का भी केंद्र है। यहाँ की गुफाओं में अनेक प्रस्तर प्रतिमाएं स्थापित हैं। स्थानिय देवी-देवताओं की यह मूर्तियां यहाँ के लोहार शिल्पियों द्वारा बनाई गई प्रतीत होती हैं। जो लोग अपने मृतकों के संस्कार हेतु गंगा नहीं जा सकते वे अपना मुंडन एवं अनुष्ठान यहीं संपन्न करा लेते हैं। यहाँ लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार में आस-पास के गांवों के शिल्पियों द्वारा बनाये शिल्प ख़रीदे जा सकते हैं। इस क्षेत्र में चमगादड़ों की एक विशिष्ट प्रजाति पाई जाती है जिन्हें यहाँ बहुतायत से देखा सकता है।
Funerary Rites Performed at Chitrakote
Souvenir Shop, Chitrakote
Local Tattoo Maker, Chitrakote
Tree with Bats, Chitrakote
पिछले दशक में शहरीकरण और विकास के नाम पर हुए कार्यों ने बस्तर के प्राकृतिक पर्यावरण को कितना प्रभावित किया है चित्रकोट का वर्तमान रूप उसका अच्छा उदाहरण है। सन २००९ तक चित्रकोट का स्वरुप पूर्णतः प्राकृतिक था। लोग झरने के आस-पास फैली चट्टानों पर उतरते-चढ़ते पानी के पास तक चले जाते थे। नदी के किनारे और पास के जंगल सब कुछ खुला और नैसर्गिक था। किसी प्रकार का सीमेंट कंक्रीट का अप्राकृतिक निर्माण लगभग नगण्य था। यहाँ का सप्ताहिक हाट बाजार भी बिलकुल देहाती अंदाज़ से लगता था जिसमें बाहरी सैलानी काम स्थानीय आदिवासी अधिक नजर आते थे। वर्तमान में यह स्थिति बदल गयी है, अब यह एक व्यवसायिक टूरिस्ट स्पॉट का रूप लेता जा रहा है।
Chitrakote in 2009
Chitrakote in 2018
New Shrine nearby Chitrakote
New Establishments around Chitrakote
Handicraft Shop, chitrakote
हाल ही में यहाँ एक बड़ा शिव मंदिर, सैलानियों की सुविधा के लिए जलपान गृह और हस्तशिल्प बाजार बनाया गया है। प्रति वर्ष यहाँ फरवरी माह में चित्रकोट महोत्सव का आयोजन किया जाने लगा है। प्रस्तुत फोटो निबंध में सन 2009 से 2019 के बीच हुए इन परिवर्तनों को दर्शाया गया है।